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शायरी - ज़िन्दगी के पन्नों से


ज़िंदगी के पन्ने 


 देखते ही देखते एक वर्ष भी बीत गयाज़िन्दगी कि कारवाँ से इक लमहा मिट गया !!! 

कुछ यादें कुछ वादेंसिसकती तनहाई में अलविदा के प्याले

सुर संगीत, सरगम दे कर यूँ ही सब कुछ मिट गया!

देखते ही देखते ही देखते एक वर्ष भी बीत गयाज़िन्दगी कि कारवाँ से इक लमहा मिट गया

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चाहत थी हमें चाँद सितारों की,

कहाँ जुगनूओं में उलझ गये!

निकले थें मंजिल की ओर इक चराग ले कर , 

इन अँधेरो से झुलस गये!!! 

वो ख़ाव वे ज़ुनून और वो तक़दीर की बिखरी लकिरें 

समंदर को पार कर के,

 कहाँ दरिया में उलझ गये!!!


***************

बिच भँवर में खो गयी है शाम

उलझनों में उलझन है ज़िन्दगी का नाम !!!

चलते चलोप्रवाह से लड़ो धैरता से लो कामकभी हार तो कभी जीत यही तो जीने का है नाम !!! 


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